मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

गिद्ध मानसिकता


गिद्ध मानसिकता 
  एल.आर.गाँधी 
हिमाचल में श्वेत्पोश   गिद्धों  की एक प्रजाति की संख्या पिछले छह  साल में बढ़ कर ५० से १९० हो गई है. एक संतोष   जनक   समाचार   है ... गिद्ध एक ऐसा जीव है जो वातावरण की शुद्धिकरण का महती कार्य करता है. मृत लावारिस पशु-पक्षियों को खा कर प्राकृतिक सफाई सेवक का काम करता है. मगर पशुओं को दिए जाने वाले डिकलोफिनाक इंजेक्शन के दुष्प्रभाव  से गिद्ध मारे जाते हैं. अब इस इंजेक्शन पर रोक लगाने से गिद्धों की संख्या बढ़ने लगी है. 
समाजिक मान्यताओं में गिद्ध को अशुभ्यंकर  माना जाता है.क्योंकि यह अपने खाने के लिए जीवो की मृत्यु की कामना करता है. अपने लालच की पूर्ती के लिए दूसरों के अहित की आकांक्षा करने वाले लालची व्यक्ति को भी इसी लिए 'गिद्ध ' उपनाम से बुलाते हैं. भारत में भले ही इन श्वेत्पोश गिद्धों का अस्तित्व खतरे में है मगर  गिद्ध मानसिकता से ओत प्रोत 
श्वेत्पोश राजनेताओं और अफसरशाही खूब फलफूल रही है. बेचारा गिद्ध भरपेट खाने के लालच में डिक्लोफिनाक युक्त मांस खा कर मारा जाता है...मगर ये एक प्रतिशत  गिद्ध- मानस ४५% जनता का आहार हड़प कर भी डकार तक नहीं मारता... गिद्ध अपने पेटू पण के लिए यूं ही बदनाम है ..  एक वक्त में ,अपने वज़न का, १०% के करीब खता है ... संचय बिलकुल नहीं करता. गिद्ध- मानव खाता तो दिखावे को भी नहीं , मगर संचय ...घर की तिज़ोरिओं में ज़गह नहीं तो ' स्विस 'की तिज़ोरिया सही.
एक पुराना शेयर है ... हर शाख पे उल्लू बैठा है ...अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा.... मगर अब तो हर तरफ 'गिद्धों' का निजाम है. गिद्धों की प्रिय स्थली हिमाचल ने ही  देश  को दूर-संचार क्रांति के जनक दिए ...इस महान 'क्रन्तिकारी' ने दूर संचार विभाग को इस कदर चूना लगाया कि शर्म के मारे हिमाचल के सारे के सारे  गिद्ध या मर गए या फिर भाग खड़े हुए...घर घर तक दूर संचार की 'सुख' सुविधा पहुँचाने के नाम पर करोड़ों रूपए की टेलीफोन तारें अन्डर ग्राऊंड कर दी. आज सरकार का टेलीफोन बिना घंटी के बज रहा है और सुनने वाला कोई नहीं... बेतार मोबाईल का राज जो आ गया .. बस राजा साहेब ने दूर संचार की २- जी ऐसी बेतार छेड़ी कि पिछले सभी रिकार्ड पीछे छूट गए ... आप तो गए 'तिहाड़' में 'औरों ' की भी तैयारी है. चलो इसी बहाने खेलो में न सही दूर संचार में लूट -समाचार का नया कीर्तिमान तो बना . 
खेल खेल में हमारे कलमाड़ी जी ने ऐसी उड़ान भरी कि गिद्धों' का सम्राट भी शर्म के मारे 'चोरों के सरदार' की छत पर आ गिरा और हमारी शीला जी को पूरी दिल्ली में मुंह छुपाने को कोई 'बुरका' नहीं मिला. 
अरे गिद्ध मंडली में गिद्धों के सरदार , किरीकिट के जानकार, किसानों के जानहार, अनाज के कीड़े, चीनी माफिया के पालनहार ,पी. डी. एस के डिपो होल्डर , महंगाई के चमत्कार और जिस चीज़ का नाम लें ..बस गायब ... ढूँढते रह जाओगे ... का जिक्र करना तो भूल ही गए .... न मालुम अपने इतने निकटवर्ती  होने के बावजूद.. अन्ना भी इनका ज़िक्र करने से चूक गए ... काश ... अन्ना ही अपने जन लोकपाल चूर्ण में डिक्लोफिनाक मिला दें और सब कुछ खाने के आदि ये गिद्ध- मानुस 'खा' तो लेंगे ही... सभी  भूखे -नंगे भारतीय टेढ़ी तिरछी टोपी लिए मैं भी अन्ना तूं  भी अन्ना की धुन पर झूम उठेंगे.   

बुधवार, 7 सितंबर 2011

Dil ko har waqut tasalli ka guma hota hai

Mitron,
"Dil ko har waqut tasalli ka guma hota hai
Dard hota hai par jane kahan hota hai
Aap kyon poochhate ho dard ki halat mujhse
Ek jagah ho to bata doon ki kahan hota hai"

"Ye na poochho ki kis kis ne dhokhe diye
Varna apno ke chehre utar jayenge"

Kya hum visangatiyon me apni javabdehi sweekar karte hain? Yadi Haan
to saajhi takat banakar badlao me apni javabdehi sunischit ki
jaye.Yehi rasta ho sakta hai anyatha sach yehi hai ki yeh blgger aur
net ki duniya shoshit janon ki bahusankhya logon ki pahuch se koson
door hai.
Prayas ki sarahna karta hoon par aur koshishon ke liye rastey hum
banayen iski jaroorat hai.
VKRAI

--
V.K. RAI
Centre For Environment And Rural Technology (CERT)
MIG-2/51, BIDA Colony, Jamunipur,
Bhadohi, Sant Ravidas Nagar, (U.P.)
Mobile- 09415360040

रविवार, 4 सितंबर 2011

ऑफिसर सुर्वे के काम देनेके लिए पैसे मंगाते है-

प्रियजनों,
मै बिमा SURVEYOR का काम करता हु. लेकिन भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है
के इन्सुरेंस के ऑफिसर सर्वे के काम देनेके लिए पैसे मंगाते है लेकिन मै
पारदर्शक और स्वच्छ काम करता हु इसलिए मै पैसे किसीसे लेता भी नहीं
और किसीको पैसे देता भी नहीं. इसलिए ये लोग मुझे काम नहीं देते. मैंने IRDA
फिनांस मिनिस्ट्री तक COMPLAINT की लेकिन कोई भी जबाब १५-२० REMINDERS
के बाद भी नहीं मिला. अब दोस्तों मुझे ये बताओ क्या करना चाहिए.

अविनाश चान्द्सरकर ,
बिमा सर्वेक्षक ,धुले -महाराष्ट्र.
मो.नो.०९४२३९७९३४०

शनिवार, 3 सितंबर 2011

नवजात मृत्यु दर - कोई चिंता नहीं.

L.R Gandhi
gandhilr1948@gmail.com
to prawakta, janokti, kranti4people, me
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एल. आर. गाँधी

आंध्र प्रदेश के कुर्नूर के हस्पताल में बदइन्तजामी के चलते पिछले ४८ घंटे में ११ नवजात मौत के आगोश में समा गए. मुख्यमंत्री ने जांच बिठा दी तो हस्पताल अधिकारिओं ने इस बात से इनकार किया कि बचों की मौत का कारन वेंटीलेटर में आक्सीज़न का न होना था. देश की सेहत के ठेकेदार केन्द्रीय सेहत मंत्री ने फरमा दिया की चिंता की कोई बात नहीं. अब नबी के गुलाम जी आज़ाद फरमा रहे हैं कि चिंता की कोई बात नहीं... तो मानना ही पड़ेगा भई !
नवजात शिशु मृत्यु दर में हम विश्व में नंबर वन हैं और हर साल ९ लाख बच्चे पैदा होते ही मृत्यु की गोद में समा जाते हैं .....सचमुच चिंता की कोई बात नहीं.. चलो इसी बहाने किसी क्षेत्र में तो हम नंबर वन हैं. !!! फिर भी हम संतोष कर सकते हैं कि पिछले दो दशक में यह मृत्यु दर ३३% कम हुई है. विश्व में हर साल ३.३. मिलियन नवजात शिशु अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं और इन में से आधे - भारत, नाईजेरिया ,पाकिस्तान ,चीन और कांगो के हैं. पछले दो दशक में मृत्यु दर में २८% की कमी आई है. और यह ४.६ मिलियन से घट कर ३.३. मिलियन रह गई है. नवजात शिशु मृत्यु दर उक्त पांच देशों में सर्वाधिक होने का मुख्य कारन अधिक जनसँख्या तो है ही वहीँ भारत जैसे देश में इन मौतों का मुख्य कारन बिमारियों से बचाव की मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव साथ साथ देश की बहुत बढ़ी आबादी तक स्वच्छ पेय जल पहुँचाने में हमारी सरकार की नाकामी भी है. चीन ने तो फिर भी अपनी जनसँख्या पर प्रभावशाली ढंग से अंकुश लगा लिया है. मगर हमारे सेकुलर शैतान वोट बैंक की चिंता के चलते ... बढती आबादी से बिलकुल भी चिंतित नहीं हैं. फिर नवजात शिशु अपने प्रथम चार सप्ताह पूरे होते होते परलोक सिधार जाए तो आजाद साहेब के लिए चिंता की बात हो भी कैसे सकती है .. क्योंकि यह भी तो परिवार नियोजन की एक परोक्ष योजना ही हुई न ?

शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

घोटालो का सिलसिला कब रुकेगा


भदोही _मनरेगा में घोटालो का सिलसिला रुकने का नाम ही ले रहा है ! सोनभद्र के बाद अब भदोही में भी लाखो का घोटाला सामने आया है ! यहाँ के पुरेगुलाब गाँव में बिना कार्य कराये ही कई लाख रूपये अवमुक्त कर दिए गए ! जब जिले के अधिकारियो ने निरक्षण किया तो जो कार्य कागजो दिखाए गए वह जमीनी पर नही दिखे ! मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन जाँच में जुट गया है !
भदोही जिले के ज्ञानपुर ब्लाक का पुरेगुलाब गाँव जहाँ मनरेगा के तहत लाखो का काम सिर्फ कागजो पर ही कर दिया गया लेकिन जब अधिकारियो ने मौके का निरीक्षण किया तो जमीनी हकीगत कुछ और दिखी ! यहाँ नाली ,पौध रोपण ,कच्चा रोड का काम सिर्फ कागजो पर दिखा ! एक शिकायत के बाद जिला परियोजना अधिकारी ने गाँव का निरीक्षण किया ! यहाँ तीन लाख पच्चास हजार रुपयों का हेर फेर किया गया ! लेकिन जब ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी को मौके पर बुलाया गया तो वह नही आये मामले की गंभीरता को देखते दोनों के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया गया है ! वही अधिकारियो का कहना है की जो भी दोषी है उसके खिलाफ सक्त से सक्त कार्यवाही की जाएगी ! इस तरह के घोटलो से यह तो साफ़ है की लगभग सभी क्षेत्रो में भ्रष्ट्राचार अपनी जड़े जमा चुका है ! और विकास कार्य भी इससे अछूते नही है !
दिनेश पटेल

रविवार, 28 अगस्त 2011

पुलिस वाला मोटर सायकिल वाले से १०० रुपये ले रहा है क़ी उसने हेमंत नहीं

ये ब्लाग बना कर आपने अच्छा काम किया.. मैंने २२ साल पहले काम करना बंद कर दिया और अभी तक मेरे बच्चे मुझे आराम से पाल रहे हैं. उनकी शिक्षा अच्छी हुई और ईमानदारी से का, किया, इस कारन अभी मुझे कोई खास तकलीफ नहीं है. परन्तु सामने देख टा हूँ क़ी पुलिस वाला मोटर सायकिल वाले से १०० रुपये ले रहा है क़ी उसने हेमंत नहीं लगा रखा है. हेलमेट बनाने वाली कम्पनी के पास पैसा है और सरकार का पेट भर सकती है. उसके बाद वह उच्चतम न्यायलय जा कर ,बड़े कीमती वकीलों के जरिये कहती है क़ी मोटर सायकिल चलने वाले के सर क़ी बड़ी कीमत है. सर के फ्य्टने से ही मौत होती है तो मणि बात है क़ी न्यायालय इसको कैसे ख़ारिज करेगा. नयायालय के सामने कोई दूसरा पक्ष है ही नहीं, और खड़ा भी है तो वह उस का ही ख़रीदा आदमी या वकील है.. मुझे ये तकलीफ है क़ी पैसे वाले न तो मोटर सायकिल स्कूटर पर चलते हैं, न आता पिसने जाते है, न स्च्कुल कलेग जाते हैं. न बिज्लिपनी का बिल जमा करने जाते हैं, न पोस्ट ऑफिस जाते है.तात्पर्य यह है क़ी गावं का किसान मोटर सायकिल पर पिचर भारी सब्जी का बोझा खेत से ला रहा है , पानी बरस रहा है, या नहीं बरस रहा है कण बंद है, मोटे स्किल क़ी फट फट क़ी आवाज मै सुने नहीं पड़ता, और वह घूमता है और किसी से टक्कर कहता है. मरता तो नहीं पर हाथ पैर टूट जाते हैं .स्कुल, कालेज, नेंक, लाइब्रेरी , फल वाला, सब जगह टॉप ही टॉप रखे होंगे तो काम कैसे होगा, या फिर उसे मोटर स्किल पर ही छोड़ दिया तो फिर जैसे रेल मै टला चेन बंधते हैं उसे बंद करे और खोले येही काम कर्ता रहे/ न्याय ले के जज साहिब, या पर्लिअमेंट के सांसद जो आजकल साहब कहलाते हैं, जिन्हें मुफ्त क़ी कर और सब समंमिलता है, कभी सोचये है क़ी जनता को क्या परेशी होती है. उनके पास तो ५ १० नौजर हैं, आज जब से ये सबसे गन्दा काम जिसे नरेगा कहते हैं, काम करने वाले नहीं मिल रहे, और मिलते हैं तो २०० से ३०० रुपये रोक, उस पर भी काम नहीं करते . नरेगा क़ी वजह से आज पांच सर पांच बोलेरो गाड़ी मै घूमता है और मै ८० रुपये लीटर मै सब्जी लेने नहीं जा सकता.कहाँ से ईमानदारी आयेगी , सब तरफ चोर ही चोरी है, पेट्रोल भरने के लिए छेने खिची जा रही है,पेट्रोल पम्प लूटे जा रहे हैं आदि अदू/

दूसरा जनता से जुदा मसला है क़ी बीच शहर मै कर मै सीट बेल्ट बंधो नहीं तो ५०० रुपये जुरमाना दो. क्यों, आप क़ी कर जब टकराएगी तो आप स्टेरिंग से उलझ जायेंगे, अधिक रफ़्तार होगी तो आगे का शीशा तोड़ कर बाहर निकल जायेंगे और मर जायेंगे. ठीक हैसरकार को या जज साहब चाहते है हम किसू दुर्घटना के शिकार हो तो का, से का, शारीरिक नुकसान हो. कुआँ आदमी अपनी गाड़ी को जान बुझ कर टक्कर मरेगा और हेज पैर या वहती तुद्द्वायेगा.. सरकार या जज साहब को चाहिए बे इसी शिक्षा का प्रबंध करे क़ी चालक आपने लाभ नुकसान को समझे, ये ५०० और फिर पुलिस वाला या यातायात वाले को १०० रुपये दे कर क्या खूब काम हो रहा है.
लोक सभा और राज्य सभा मै बैठे सांसद मात्र व्हिल्लाने और तोड़ फोड़ करने मै ही लगे हैं. पर्तिदिन उनके घर एक ट्रक आता है सरकारी प्रेस से जिसमे होते हैं भारी भारी पोथे . अरबों रुपियों का कागज और श्याही लगती है परन्तु मैंने एक भी सांसद या विधायक को एक पन्ना भी पढ़ते नहीं देखा.

संसद या विधान सभा मै बिल पर बिल आते हैं एक दिन मै १५ पास भी हो जाते हैं और पता ही नहीं क्या पास हुआ म बस थोप दिया जनता पर . अतः ये सारे कानून इतने चिढाने वाले हैं क़ी अब जनता ट्रस्ट हो गई है. स्तिथि ये है क़ी जमता क़ी रु लिए बगैर कानून बनते रहे तो कानून बनाने वालों क़ी पिटाई शुरू होगी
ashutosh tiwari tiwari.ashutosh2@gmail.com

शनिवार, 27 अगस्त 2011

ये देश कि आवाज है राहुल जी


कल श्री राहुल गाँधी, जिसे कुछ लोगो और मिडिया ने देश का युवराज घोषित कर रखा है , अब लोकतंत्र में युवराज मेरी बौद्दिक क्षमता से परे है ये समझाना कि लोकतंत्र में युवराज , ऐसा तो राजतंत्र में होता था लेकिन लोकतंत्र में .......................................... अब ये छोडते है , और कल जो लोक सभा में राहुल गाँधी जी ने कहा ................. पहले तो राहुल जी को धन्यवाद कि तमाम मुद्दों पर तुरंत बोलने वाले राहुल गाँधी को श्री अन्ना अजारे जी व् देश के करोडो लोग जो भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जन लोकपाल के लिए सत्याग्रह कर रही है उसके विषय में बोलने के लिए लोकपाल को चुनाव आयोग जैसा स्वतंत्र संस्था हो ठीक बात है होना भी चाहिए लेकिन ये भी स्पष्ट उसमे क्या प्रधानमंत्री व् न्यायपालिका को जांच करने का अधिकार होगा या नहीं दूसरी बात ये कि किसी के द्वारा कोई कानून बनाने के लिए दबाव बनाना लोकतंत्र के संसदीय व्यवस्था के लिए खतरा होने कि बात , तो पहले ये स्पष्ट होना चाहिए कि ये कानून कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि देश कि करोडो जनता माग रही है और ऐसी नौबत भी तब आई जब आपकी सरकार जो बाते तो करती है भ्रष्टाचार को खत्म करने कि लेकिन करती कुछ नहीं है इसलिय मजबूर होना पढ रहा है इस देश के लोगो को अपना देश बचाने के लिए क्योंकि अकेले कोई राजनितिक पार्टी या सांसद ही इस देश का प्रतिनिधि नहीं है इस देश का प्रत्येक नाग्रि़क इस देश का प्रतिनिधि है जहाँ तक संसदीय व्यवस्था कि बात है तो जिस कानून को बनाने कि बात अन्ना जी के नेतृत्व में इस देश कि करोडो जनता कर रही है वो कोई व्यक्तिगत या किसी एक समूह के लाभ के लिए नहीं है बल्कि पुरे देश के लोगो के साथ इस लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए अच्छी बात होगी और एक स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित होगा वैसे भी राहुल जी कानून संसद ही बनाएगी ये शक्ति उसी को है हा जनता को अपना प्रतिनिधि चुनने कि स्वतंत्रता व् शक्ति दोनों है और उसका भी समय आएगा जब आपके सारे तर्क का कोई मतलब नहीं होगा `
santosh
svkumarsan@gmail.com

गुरुवार, 25 अगस्त 2011

व्यवस्था परिवर्तन कि आवश्यकता



पन्द्रह अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजो के शासन से मुक्ति से तो मिल गई लेकिन क्या सही मायने में हमारी व्यवस्था बदली ?क्या देश का आम नागरिक गुलामी कि बेड़ियों से निकल पाया ? अगर नहीं तो आज फिर व्यवस्था परिवर्तन कि आवश्यकता क्यों महसूस हुई ?इसी पर बात करता हूँ | कि आजादी के इन 64 वर्षों के बाद भी देश में जो समस्याएं , चुनोतियाँ व् भयावह दर्दनाक परिस्थियां राष्ट्र में पैदा हुई हैं , वे इस बात का प्रमाण हैं कि हमारी नीतियां व् व्यवस्थाएं देश वासियों को न्याय नहीं दें पा रही हैं | अत: हमारे देश कि नीतियों व् पूरी व्यवस्था कि नए सिरे से पुन: संरचना कि नितांत आवश्यकता है |

1. आजादी के 64 वर्ष बाद भी यदि भारत के 50% से ज्यादा लोग अनपढ़ हैं, हमें अपने देश कि भाषाओँ में उच्च तकनिकी कि शिक्षा पाने का अधिकार नहीं है , गरीब व अमीर के लिय एक जैसी शिक्षा व्यवस्था नहीं है ,हमारे पूर्वजो के ज्ञान ,जीवन व चरित्र के बारे में अपमान जनक बातें बताई जाती हैं - तो क्या ये हमारी शिक्षा व्यवस्था कि असफलता नहीं है ?


2. 64% देश के लोग बीमार होने के बाद उपचार नहीं करा सकते |उन बीमारों को हम तड़पते मरने के लिय छोड़ देते हैं और जो 35% लोग जो इलाज करवा पाते हैं उसमे सात लाख करोड रूपये से ज्यादा देश के लोगो के धन का दोहन मात्र रोगों को नियंत्रित करने में होता है, क्योंकि उनको पूर्ण आरोग्य नहीं मिल पाता है, और इनमे से भी पचास प्रतिशत लोग अपने घर व् जमीन बेचने पर मजबूर हो जाते हैं,क्योंकि इलाज कि खातिर चिकत्सा व्यवस्था मंहगी है | यह हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था कि नाकामी नहीं है तो क्या है ?

3. गुलामी के समय अंग्रेजो ने जो 34735 कानून हमें लूटने , शोषण करने व् सदियों तक हमको गुलाम बनाने के लिय बनाये थे , उन कानूनों को हमने आजाद भारत में क्यों कर रखा है ? जिसका परिणाम यह है कि १०० अपराधियों में से मात्र पांच अपराधियों को हमारी न्याय व्यवस्था दण्ड डे पाती है | 100 में से ३० बहन बेटियों कि इज्जत को जिंदगी में कभी न कभी तार तार करने कि कोशिश कि जाती हैं | देश में कभी भी आंतकवादी घटना हो सकती है देश पूरी तरह सुरक्षित नहीं है |

अगर हमारी देश कि न्यायपालिका देश वासियों को न्याय नहीं दे पा रही है तो इसका साफ व् सीधा सा अर्थ है कि इसको बदलने कि आवश्यकता है |

4. एक तरफ देश का सकल घरेलू उत्पाद G.D.P. लगभग पचास लाख करोड रूपए इतनी अकूत धन दौलत होने के बावजूद क्यों हमारे देश के लगभग 84 करोड लोग मात्र 20 -21 रूपए प्रतिदिन में बेबसी ,गरीबी ,लाचारी ,भूख व् आभाव कि जिंदगी जिनी पड़ती है |यह हमारे देश कि गलत आर्थिक निति नहीं है तो और क्या है ?


और भी बहुत विस्तार से जान जाए तो बहुत सारी भ्रष्ट व् गलत वाही नीतियां आज हमारे देश कि शासन प्रणाली में हैं जिनसे आज आम आदमी तंग है |और इसका एक ही समाधान है व्यवस्था परिवर्तन |और इसकी शुरुआत के लिय कोई भी व्यक्ति अगर आवाज उठता है और काम शुरू करता है तो क्या हमें उसका साथ नहीं देना चाहिय ?
By: Tarun bhartiy on http://www.adarsh-vyavastha-shodh.com/2011/08/blog-post_12.html#more

भ्रष्टाचार खत्म होगा क्योकि नई पीडी की सोच बदल रही है



पिचले कुछ दिनों से मुझे या मेरे जैसे सोचने वालो को बहुत खुसी हो रही है कि लोगो कि भ्रष्टाचार के विषय पर सोच बदल रही है जहाँ आज के पहले लगभग सभी लोग कुछ लोगो को छोड़ कर मै खुद भी उन्ही लगभग लोगो में था जो य सोचते थे कि कुछ भी सुधार कि बाते विशेषकर भ्रष्टाचार को लेकर हमारे देश में हो ही नहीं सकती क्योंकि इस देश के लगभग लोग वही कुछ को छोड़ कर बस मौका मिलने कि देरी है भ्रष्ट है या कहे कि बिना मौका मिले भी जिस जगह है जिस स्तर पर है जितना कर सकने कि क्षमता है भ्रष्टाचार में लिप्त है अब वो चाहे चोरी से बिजली जलाने कि बात हो या फिर ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करना हो आदि ऐसी ही कुछ हमारी हरकते जिसे हम भ्रष्टाचार नहीं मानते आसानी से और बड़े ही दिल खोलकर कर रहे है , भ्रष्टाचार ही तो है अब एक बात और भी सोचने वाली है हम तो भ्रष्ट थे ही या हमारी वो पीडी जो ५० वर्ष के ऊपर कि है वो स्वयं तो इस नकारात्मक सोच वाली थी कि कुछ भी नहीं हो सकता भ्रष्टाचार को लेकर और अपनी युवा पीढ़ी को भी यही पाठ पड़ा दिया कि कुछ भी नहीं हो सकता है लेकिन भला हो बहुत से युवाऔ का जो पाठ पढ़े तो सही पर उसको आत्मसात नहीं किया जिसका एक बहुत ही अच्छा परिणाम है कि वाही आज आन्ना हजारे जी के साथ रामलीला मैदान में दिख रही है , यही वो भी सकारात्मक सोच वाले वुवाओ का जनसैलाब था जब अन्ना जी जेल में थे , यही वो गलत पाठ पढ कर न सीखने वाले देश के भविष्य है जो आज देश के हर शहरों ,गांव ,सड़क मुहल्लो में भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़ा हुआ है इस सोच के साथ कि तश्वीर बदलेगी , भ्रष्टाचार खत्म होगा ........................................................


santosh


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