tag:blogger.com,1999:blog-20610002906418516432024-02-19T08:05:09.609-08:00भ्रष्टाचार की भड़ास bhadas 4 corruptionये ब्लॉग आपके के साथ हुए, भ्रष्टाचार के कारण हुए परेशानियों को बताने के लिए बनाई गयी है| यदि आपके पास इससे बचने के उपाय हो और आपने किसी भ्रष्टाचार के मामले को बेहतर ढंग से हल किया हो और आपको बिना घूस दिए अपना काम कराने में सफलता पायी हो आपने विचार इस ब्लॉग पर जरूर दे जिससे औरो को भ्रष्टाचार से बचने में मदद मिल सके |यदि आपसे कोई घूस मांग रहा हो तो जरूर बताये |sanjayhttp://www.blogger.com/profile/08520761498192985388noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-67104987310069217052014-09-27T01:16:00.001-07:002014-09-27T01:16:57.486-07:00darsan sahuhttp://www.blogger.com/profile/12828016930211081327noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-81133066884317409552014-09-16T01:08:00.001-07:002014-09-16T01:08:19.725-07:00अमेठी राजघराने में विवाद के बाद आज साँसद डॉ संजय सिंह ने पत्रकारों बातचीत करते हुए अमेठी में रविवार को हुई हिंशा के लिए अपने पुत्र अनंत विक्रम सिंह को जिम्मेदार ठहराया है,उन्होंने आज भूपति भवन में कहा की वह अपनी पहली पत्नी गरिमा सिंह को पिछले 25 वर्षो से नहीं जानते।उन्होंने कहा की गरिमा सिंह चल-अचल संपत्ति की लालच में अनंत विक्रम सिंह को भड़का दिया है । उन्होंने कहा की उन्होंने अमीता सिंह से विवाह पारिवारिक रजामंदी से ही किया था उन्होंने बताया की 20 सालो तक जब अनंत ने मेरे से ही नहीं बल्कि अमीता से भी माँ बेटे का रिस्ता कायम रहा ,अनंत की नौकरी के दौरान भी कही कोई बिभेद नहीं हुआ।
उन्होंने कहा की वह अपने घर में आना चाहते थे उन्हें चन्द्र लोगो के द्वारा रोक जा रहा था,जिसके कारण उन्हें शासन व् प्रशासन की मदद लेनी पड़ी। प्रशासन को कानून व्यवस्था सँभालने में जनता के सख्ती से पड़ा जिसके कारण निर्दोष लोग भी पुलिस कार्यवाही के शिकार हुए है उसके लिए वह खेद व्यक्त करते है । उन्होंने कहा की हिंशा में मारे गए सिपाही विजय मिश्रा की मौत उन्हें गहरा दुःख है ।
उधर दूसरी ओर उनके पुत्र अनंत विक्रम सिंह ने रविवार को अमेठी में हिंशा व् सिपाही की हत्या के लिए अपने पिता संजय सिंह व् अमीता सिंह को जिम्मेदार ठहराया है ,उन्होंने कहा की बैडमिंटन खिलाडी सैय्यद मोदी हत्या की जांच पुनः करने की मांग की है,उन्होंने कहा की हत्या कांड के दोषी संजय सिंह व् अमीता मोदी को साक्ष्यों के आभाव में बरी कर दिया गया था । उनकी माँ गरिमा सिंह ने कांग्रेस व् भाजपा के शीर्ष नेताओ से सैय्यद मोदी हत्या सी बी आई जांच करने की है ।
अमेठी में रामनगर के आस पास पुलिस ने आज भी कहर बरपाया ग्रामीण अपने घरो को छोड़ कर पलायन कर गए है । पुलिस के तांडव से स्कूली बच्चो ने स्कूल जाना ही बंद कर दिया है वही गाव में पुलिस के जवानो के द्वारा मवेसिओ को खोल देने की सूचनाये भी मिल रही है।आस पास के दर्जन भर गावो में कर्फ्यू जैसा माहौल कायम है ।
16 सितम्बर 14 दर्शन साहू darsan sahuhttp://www.blogger.com/profile/12828016930211081327noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-33499692961411147122013-04-19T05:54:00.001-07:002013-04-19T05:54:12.654-07:00भारत का भविष्य या भविष्य का भारत <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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<div class="clearfix photoRedesign" style="background-color: white; color: #333333; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; width: 398px; zoom: 1;">
<a ajaxify="http://www.facebook.com/photo.php?fbid=480893741965924&set=a.155911121130856.47722.100001359067948&type=1&ref=nf&src=http%3A%2F%2Fsphotos-d.ak.fbcdn.net%2Fhphotos-ak-prn1%2F553284_480893741965924_973811149_n.jpg&size=480%2C340&theater" class="uiPhotoThumb photoRedesignAspect" data-ft="{"type":41,"tn":"E"}" href="http://www.facebook.com/photo.php?fbid=480893741965924&set=a.155911121130856.47722.100001359067948&type=1&ref=nf" rel="theater" style="border: 0px; color: #3b5998; cursor: pointer; display: block; float: left; position: relative;"><img alt="ये मेरे देश की तस्वीर हैं ... जहां मेरा साईं भगवान सोने में लदा बैठा है ... मंदिर, मस्जिदों की उंचाइयां बढ़ रही हैं ... और देश का भविष्य गा रहा है सारे जहां से अच्छा .. हिन्दुस्तान हमारा .... सिर्फ शिकायत मत करो ...बदलाव का हिस्सा बनो.." class="img" height="281" src="http://sphotos-d.ak.fbcdn.net/hphotos-ak-prn1/s480x480/553284_480893741965924_973811149_n.jpg" style="border: 0px; display: block; margin: 0px; max-width: none;" width="398" /></a></div>
<div class="shareSubtext fcg" style="border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
<b style="background-color: white;">भारत का भविष्य या भविष्य का भारत </b></div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
एल आर गाँधी </div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
<br /></div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ,</div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
मदरसे पे छत नहीं है ,रौशन है कल हमारा ...</div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
ज़ाहिर है यह एक सरकारी नर्सरी स्कूल है जहाँ भविष्य का भारत तालीम हासिल कर रहा है ...नौनिहाल बाकायदा ड्रेस में हाज़िर हैं और मिस पूरी तल्लीनता से जमींदोज़ दीवार पर टिके खस्ताहाल ब्लैकबोर्ड पर सफेद चाक से बच्चों को उज्जवल भविष्य से रूबरू करवा रहीं हैं ....बच्चो की मासूमियत और मिस के ज़ज्बे को सलाम .</div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
३ ५ लाख के शौचालय में बैठ कर केंद्र के मौन्टेक सिंह जी ने १२ वीं पंच वर्षीय योजना में , देश के हर एक स्कूल को एक-एक जनाना -मरदाना देने का पूरा -पूरा इंतज़ाम किया है . अब केंद्र का बज़ट राज्य सरकार खुर्द बुर्द कर दे तो इसमें बेचारे मन- मौन सिंह या फिर राजमाता का क्या कसूर है . </div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
हमारे संस्कारों व् संस्कृति में तालीम के इन इदारों को किसी मंदिर ,मस्जिद गुरद्वारे या चर्च से कम नहीं आँका जाता . एक ओर साईं बाबा को सोने के मुकटो से सजाया संवारा जाता है ..नगर- नगर गाँव गाँव मंदिर -मस्जिदों के मीनार नई नई बुलंदियों को छू रहे हैं और ये भ्रष्ट तंत्र से त्रस्त इदारे धुल धूसरित हुए जा रहे है . </div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
सवा सौ करोड़ के इस देश में २४ लाख मंदिर,मस्जिद गुरद्वारे व् गिरजाघर हैं जहाँ पर हम हिंदुस्तानी अपने ईष्ट से अपने बच्चो के उज्जवल भविष्य की दुआ मांगते हैं ... ६ लाख हस्पताल ,क्लिनिक व् डिस्पेंसरियां हैं जहा बीमार समाज को दरुस्त-तंदरुस्त किया जाता है .. राष्ट्र के भविष्य बच्चो और युवाओं , जो कुल आबादी का एक तिहाई हैं के लिए मात्र १५ लाख स्कूल कालेज हैं और इनमें ऐसे 'सरकारी आदर्श ' स्कूल भी अनगिनत हैं जहाँ नेहरु जी की पंच वर्षीय योजनाओं की सुख सुविधाओं की ब्यार अभी पहुंचनी बाकी है ....फिर भी २१ वी सदी के 'आदर्श स्कूल 'को सलाम !</div>
<div class="shareSubtext fcg" style="background-color: white; border-left-color: rgb(204, 204, 204); border-left-style: solid; border-left-width: 2px; color: grey; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 11px; line-height: 14px; margin-top: 10px; padding-left: 8px;">
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L.R.Gandhihttp://www.blogger.com/profile/00227090318128258228noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-19967950006874648102013-04-16T22:41:00.000-07:002013-04-16T22:41:06.994-07:00समाज कल्याण अधिकारी को मिली धमकी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">आज मेरे कार्यालय में कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी आये, उनकी एक ही डिमांड थी कि मेरे बाबू, जिसके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफ़०आई० आर० कराइ है, के खिलाफ लगाये गए आरोपों को मैं वापस ले लूँ, जैसा कि कुछ अधिकारीयों ने किया है, अन्यथा की स्थिति में खुलेआम चेतावनी थी कि वे पूरे जिले में कर्मचारियों की हड़ताल करा देंगे.</span><br style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">हालांकि उनमे से कुछ लोगों ने मेरी बात सुनकर येही कहा कि ऐसे कर्मचारी के खिलाफ कार्यव</span><span class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #37404e; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">ाही होनी ही चाहिए. लेकिन उनकी आवाज कुछ धीमी हो गयी थी,<br />एक व्यक्ति ने गोले बारूद की बात कही, जिस पर मेरे गनर ने रिपोर्ट की कहा, हालांकि यह जानकर कि प्रशासन उनकी हड़ताल पर उनकी ही बात सुनेगा, मैंने गनर से ऐसा करने के लिए मना कर दिया,<br />सबसे अच्छी बात यह लगी कि अब तक सुना गया है कि गनर साथ छोड़ देते हैं, लेकिन आज मेरे गनर ने दर्शाया कि वो अपने कर्तव्य को निभाते हुए मेरे साथ है.<br />और सबसे दुखद बात यह लगी कि कर्मचारी संगठन को तथाकथित एक लुटेरे को बचाने के लिए एकजुट होने का समय मिल गया, लेकिन कभी भी अपने कर्तव्यों पर चलने की बात करने का समय नहीं मिला, क्या चोर-चोर मौसेरे भाई (सबके लिए नहीं लेकिन उनके लिए जो निष्पक्ष जांच न चाहकर केवल चाहते हैं कि संजय सिंह चौहान ने भले की कितने ही घोटाले किये हों, पर वो छोड़ दिया जाये, क्यूंकि वह एक सरकारी कर्मचारी है.)<br />पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह माना जा सकता है कि जनपद का प्रशासन उनके दबाव में आकर मेरे ऊपर दबाव बनाएगा कि मैं इस जांच में बहुत कम तथ्य प्रस्तुत करूँ, हालांकि मैं उनके किसी दबाव में नहीं आने वाला हूँ, फिर भी मुझे यह डर होना चाहिए कि यदि मैं ऐसा करता हूँ, तो मेरे शुभचिंतक विशेषतः जैसे <a data-hovercard="/ajax/hovercard/user.php?id=1558539252&extragetparams=%7B%22group_id%22%3A0%7D" href="http://www.facebook.com/prince.lenin.1?group_id=0" style="color: #3b5998; cursor: pointer; text-decoration: none;">Prince Lenin</a> मेरे खिलाफ ही बड़े स्तर पर मोर्चा खोल देंगे.<br />इससे मेरे ऊपर दवाब बनाने वालों पर भी खुद ही दवाब बनेगा, क्यूंकि यह फेसबुक की पोस्ट उन तक अवश्य पहुँच जाएगी.........................<wbr></wbr><span class="word_break" style="display: inline-block;"></span>..............................<wbr></wbr><span class="word_break" style="display: inline-block;"></span>.....</span></div>
sanjayhttp://www.blogger.com/profile/08520761498192985388noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-47626122281156699072013-04-16T22:39:00.002-07:002013-04-16T22:39:59.334-07:00समाज कल्याण अधिकारी ने दर्ज कराया मुक़दमा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">देखते हैं मामला कहाँ तक लेकर जाता है...................</span><br />
भदोही <br style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><br style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><br style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">समाज कल्याण के कर्मचारी पर प्राथमिकी</span><br style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;" /><span style="background-color: white; color: #37404e; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;">ज्ञानपुर। जिला समाज कल्याण अधिकारी की तहरीर पर कोतवाली में देर शाम समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ सहायक संजय सिंह चौहान के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया</span><span class="text_exposed_show" style="background-color: white; color: #37404e; display: inline; font-family: 'lucida grande', tahoma, verdana, arial, sans-serif; font-size: 13px; line-height: 18px;"> गया।जिला समाज कल्याण अधिकारी रिंकू सिंह राही ने थाने में दी गई तहरीर में कहा है कि आरोपी संजय सिंह चौहान के द्वारा वृद्धावस्था पेंशन योजना में बिना आवेदनपत्र आए ही नवीन पेंशन स्वीकृत करा दी गई। तहसील से प्राप्त पात्र लाभार्थियों की सूची के अतिरिक्त अपने स्तर से अतिरिक्त नाम जोड़कर सरकारी धन का गबन किया गया।http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20130416a_004183024&ileft=689&itop=90&zoomRatio=130&AN=20130416a_004183024</span></div>
sanjayhttp://www.blogger.com/profile/08520761498192985388noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-19412183340132317272013-02-27T09:08:00.003-08:002013-02-27T09:08:45.039-08:00धृतराष्ट्र के उत्तराधिकारी <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
धृतराष्ट्र के उत्तराधिकारी<br />
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एल आर गाँधी<br />
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आज हस्तिनापुर उदास है ...उदास है गंगा पुत्र भीष्म के लिए ..भीष्म की हस्तिनापुर के प्रति समर्पित प्रतिज्ञाओं के लिए ...धर्म युद्ध में गंगा पुत्र के अधर्म का साथ देने के लिए ... बाण - शय्या पर पड़े भीष्म भी उदास हैं ..अपनी उन प्रतिज्ञाओं के लिए जो उन्होंने भारतवर्ष की मूल अवधारनाओं के विपरीत मात्र हस्तिनापुर के सिंहासन पर आरूढ़ अंधे .... धृतराष्ट्र के प्रति लीं और ' भरत ' के प्रजापालक सिधान्तों को भुला दिया ...<br />
पितामहा के समक्ष सम्राट 'भरत ' मानो प्रकट रूप में पूछ रहे हों ... पितामहा यदि आप ने धर्म का साथ दिया होता और राष्ट्र प्रेम को अपने राज प्रेम से प्राथमिकता दी होती तो आज मेरे भारतवर्ष की यह दुर्गति कदापि न हुई होती ....अपने राष्ट्र प्रेम के कारन ही तो मैंने अपने नौं पुत्रो में से किसी को भी राष्ट्र के प्रजाजन के हित में अपना उत्तराधिकारी मनोनीत नहीं किया ...प्रचलित प्रथा के अंतर्गत , अपने जयेष्ट पुत्र को राज सिंहासन पर बिठाने के निर्णय ने जब मेरी बुद्धि और मन में अंतर्द्वंध मचाया तो मैं महर्षि कन्व के आश्रय में गया उन्होंने मेरे मन और बुद्धि के द्वंध का निराकरण किया ...तब मुझे ज्ञान हुआ की कोई भी राजा अपनी प्रजा और राष्ट्र से बड़ा नहीं होता ...राजा का धर्म है अपनी प्रजा की रक्षा करना और ऐसे समर्थ पुरुष को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करे जो अपने राष्ट्र और प्रजा के साथ न्याय करे और उनकी रक्षा करे .... मैंने राष्ट्र हित में अपने पुत्रों का मोह त्याग कर भारद्वाज पुत्र युद्धमन्यु को अपना उत्तराधिकारी चुन लिया ....मेरा चुनाव उचित सिद्ध हुआ ...धरम् युद्ध में युद्धमन्यु ने धरम का साथ दिया और पांडवों की विजय में महत्त्वपूर्ण योगदान भी दिया ......<br />
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हस्तिनापुर पुन: आज राष्ट्र प्रेम और राज भक्ति के दोराहे पर खड़ा है ....असंख्य राष्ट्र भक्तों की महान कुर्बानियों के उपरान्त जब देश आजाद हुआ तो हमारे संविधान्वेताओं ने आज़ाद देश को भारत के प्रथम जनतंत्र जनक 'सम्राट भरत 'के नाम पर भारतवर्ष नाम दिया ...संविधान के प्रथम पृष्ट पर 'इण्डिया दैट इज भारत 'इस का प्रमाण है. वैसे तो आजादी के तुरंत बाद ही भरत की योग्य उत्तराधिकारी के चयन की विचारधारा को 'तिलांजलि दे दी गई ,जब बहुमत की अवहेलना करते हुए गाँधी जी की पसंद को राष्ट्र का उत्तराधिकारी बना दिया गया ....तभी से देश पर ' धृतराष्ट्र वादी ' अंधी उत्तराधिकार प्रथा छाई है. राष्ट्र की प्रजा को केंद्र में ही नहीं अब तो अधिकाँश राज्यों में भी 'परिवार' से अपना 'उत्तराधिकारी' चुनने का एक मात्र विकल्प उपलब्ध है. केंद्र में यदि गाँधी का दिया एक परिवार 'राज्भाक्तो' की आस्था का केंद्र है तो राज्यों में अपने -अपने परिवारों की ताजपोशी में राजभक्तों के 'गिरोह ' सक्रीय हैं . मकसद भी सभी का एक ही है ...अपने 'आका' को सत्ता में बनाए रखना और देश की जनता और संसाधनों को दोनों हाथों से खूब लूटना ....जिस प्रकार आज़ादी से पहले रियासती रजवाड़े अपनी- अपनी सत्ता के नशे में चूर दिल्ली -दरबार को चुनौती देने से नहीं चूकते थे ...आज लगभग वही हाल क्षेत्रीय दलों के समक्ष केंद्र का है ...सत्ता पर काबिज़ धृतराष्ट्रों को परिवार और दुर्योधन के अतिरिक्त कुछ दिखाई ही नहीं देता ....... गाँधी का बोया बीज आज वट वृक्ष का रूप ले गया है ...इसकी कीमत तो राष्ट्र को और इसकी प्रजा को ही चुकानी पड़ेगी ...<br />
भारत को फिर से किसी 'भरत ' की तलाश है जो राष्ट्र को उपयुक्त योग्य उत्तराधिकारी प्रदान करे ...जय भारत .<br />
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L.R.Gandhihttp://www.blogger.com/profile/00227090318128258228noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-59263675576993237512013-02-10T00:22:00.004-08:002013-02-10T00:22:15.239-08:00शशि-धरा का लुका-छिपी महोत्सव एल. आर. गाँधी <br />
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">
<br /></div>
<span style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">शशि- धरा की लुक्का छिपी का महोत्सव है आज . महोत्सव का श्रीगणेश सांय ६.१५ बजे और समापन ९.४८ पर होगा . विश्व के प्राचीनतम प्रेमी इस महोत्सव के मुख्य पात्र हैं. अबकी शशि छिपेंगे और धरा सदैव की भांति ढूँढेंगी .... रवि ने मंच सञ्चालन का जिम्मा सम्हाल लिया है. पिछले कई दिनों से 'विधु' छिपने की रिहर्सल में मशगूल हैं .. जब देखो धुंध में लुका-छिपी के खेल में व्यस्त हैं और धरा भी धुंध में धुंधलाई आँखों से निशा में दूर तक अपने सखा 'इंदु' को देखती है ...मानो जांच रही हो ..अबकी कहाँ छिपेगा ? फिर भूल गई की उसका यह सदियों पुराना अनुज -सखा तो सदैव उसके आँचल में ही आ छिपता . लो ' निशापति' छिप गए और धरा दबे पाँव अपने नन्हे चिर-सखा को ढूँढने निकल पड़ी. अपनी प्रियसी और उसके सखा के बीच के इस लुकाछिपी के खेल को 'रवि' चुपचाप निहार रहे हैं. </span><div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">
सदियों से शशि धरा-दिनकर के सृष्टि सम्भोग के प्रत्यक्ष -द्रष्टा रहे हैं. निशापति के जाते ही दिनकर अपनी प्रियतमा को अपने आगोश में ले कर 'चिर सौभाग्यवती' भव का आशीर्वाद देते हुए ,अपनी प्रचंड किरणों से काम-क्रीडा में मस्त हो जाते हैं. रात होते ही निशापति थकी- हारी धरा को अपनी शीतल किरणों की चादर ओढा कर , अपने सखा धर्म का निर्वाह कर, मात्र ठंडी आहें भरने के सिवा और कर भी क्या सकते हैं. अपने मित्रवत प्रेम के इज़हार का इस साल 'इंदु' के पास आज यह दूसरा अवसर है. आज तो बस बता ही देंगे धरा को की वह किस कदर उसे बे-इन्तेहा प्यार करते हैं. लो शशि पूर्णतय छिप गए और धरा ढूंढ रही है ...शशि ने धरा को 'हीरे की अंगूठी ' दिखाई ..धरा अचरज में पड़ गई और शशि झेंप गए और शर्म से मुंह लाल हो गया . शशि ने आनन फानन में 'फ्रेंडशिप बैंड' भेंट किया और धरा ने अपने चिर-सखा की यह भेंट स्वीकार कर राहत की सांस ली. रवि अपनी प्रियतमा के पतिव्रता आचरण पर भाव विभोर हो गए . इसके साथ ही लुका छिपी का विश्व समारोह सम्पूर्ण हुआ .</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">
विज्ञानिक अपनी खुर्दबीने लिए इस महोत्सव से पृथ्वीलोक पर होने वाले 'अच्छे-बुरे प्रभावों की समीक्षा में व्यस्त हैं और धर्म भीरु हिन्दू ग्रहण से होने वाले दुष्प्रभावो को सोच का त्रस्त हैं. हमारी धर्म परायण श्रीमती जी ने सभी खाद्य- वस्तुओं में 'खुशा' का तिनका टिका दिया है. इसे कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा . मंदिर के पंडित जी ने श्रीमती जी को आगाह कर दिया था कि आज शाम को मंदिरों के किवाड़ बंद रहेंगे . इस लिए देवीजी आज के देव दर्शन ग्रहण से पूर्व ही कर आयीं. ज्योतिविद धर्मभीरु आस्तिकों को चन्द्र ग्रहण से होने वाले दुश परिणामों से जागरूक करते हुए 'दान-पुन्य' के अमोघ अस्त्रों से अवगत करवा कर 'चांदी' कूटने में व्यस्त हैं . हम तो भई सोमरस की चुस्कियों संग , सृष्टि के प्राचीनतम प्रेमियों के इस लुकाछिपी महोत्सव को निहारने में मस्त हैं. निशापति का यह शर्म से लाल हुआ मुखारविंद सिर्फ और सिर्फ आज के इस महोत्सव में ही देखने को मिलता है , जब 'इंदु' अपनी ही इज़हार ए मुहब्बाद से शर्मसार हुए शवेत से सुर्ख हो जाते हैं.</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;">
यथार्थ के पक्षधर खगोलविद या फिर ईष्ट अनीष्ट की शंकाओं में डूबे ज्योतिषशास्त्री इस महोत्सव के प्रेम प्रसंग को क्या समझें ? </div>
bhadashttp://www.blogger.com/profile/04468274969114380699noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-51165348909165553702012-04-08T06:13:00.002-07:002012-04-08T06:17:40.959-07:00बेबस नगरी- अंधा न्याय<span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); ">बेबस नगरी में कुत्ते गरीब श्रेणी में आते थे। गरीब इसलिए की उन पर योजना आयोग वालों का ठीक से ध्यान नहीं गया था। उनका तो कहना था की गरीबी कोई दशा या स्थिति नहींबल्कि परिभाषित करने का तरीका ही तो है। मालिको से भर पेट खाना न मिलने पर भी वे कुत्ते रात भर नगर में भूंकते-फिरते थे ताकि लोग जागते रहें और उनका देश रात्रि में चोर-डकैत, भ्रष्टाचारी एवं आक्रान्ताओं से सुरक्षित रहे। कालांतर में वही चोर-डकैत, भ्रष्टाचारी एवं आक्रान्ता बेबस नगरी की सत्ता पर आसीन हो गये और अपने को सर्वहारा वर्ग का प्रतिनिधि मनवा बैठे। जंगल संस्कृति के पौ-बारह हो आये। गरीबो की और दुर्गति निश्चित थी। सरकारी आदेश हुआ की पूरे राज्य में कुत्तो की धर-पकड़ की जाय। उनपर शांति भंग एवं देश-द्रोह का अभियोग(मुक़दमा) चलाया जाय क्योकि पूर्व शासन में इन्होने नागरिको को कभी रात में शांति से सोने नही दिया, लोगो की स्वतंत्रता में खलल डाला और ये अमन चैन के शत्रु रहे।</span><br style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "><span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "> राजाज्ञा की हवा फैलते ही सर्वत्र भगदड़ मच गया। झुण्ड के झुण्ड कुत्ते भाग निकले। उनके साथ एक ऊँट भी भगा जा रहा था। नगर सीमा बाहर होते-होते बेबस नगरी में गहरी रूचि लेने वाले एक पत्रकार ने ऊँट से पूछा "अरे ऊँट भाई! इन कुत्तो के साथ तुम क्यों भागे जा रहे हो?" हांफते हुए ऊँट बोला "दोहरा संकट है। पकडे जाने पर मुझे ही सिद्ध करना होगा की मैं कुत्ता नहीं हूँ। न्याय तो अंधा है। फिर मुझे ही प्रमाण देना होगा की यदि मैं कुत्ता हूँ तो भी देश-द्रोही नही हूँ। मेरी स्थिति तो कुत्तों से भी बदतर हो गयी है। पत्रकार भाई! मेरा तो बेबस नगरी से यह पलायन अंतिम ही है। हो सकता है कल इन कुत्तो का दिन बहुरे और बेबस नगरी इनका स्वागत करे।" यही है बेबस नगरी एवं उसका अंधा न्याय ।</span><br style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "><span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "> जहाँ शक्तिशाली लोग सत्य एवं झूठ की परिभाषा बदलने में लगे हों एवं समाज में नैतिकता उन्मूलन की होड़ मची हो वहा न्याय को भी विवश होते एवं उससे लोगो का विश्वाश उठते देखा जा सकता है। </span><br style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "><br style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "><span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "><strong> अंततः </strong><strong>अन्नाई विचार</strong> :-</span><br style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "><span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "> झुकता तो वही है जिसमे जान होती है,</span><a href="http://mangal-veena.blogspot.in/2012/03/blog-post_27.html"><br style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "></a><span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "><a href="http://mangal-veena.blogspot.in/2012/03/blog-post_27.html"> </a>अकड़ना तो मूर्ख की पहचान होती है। </span><span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "> </span> <div><span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); "><br /></span></div><div><span style="color: rgb(51, 51, 51); font-family: Arial, Tahoma, Helvetica, FreeSans, sans-serif; font-size: 14px; line-height: 20px; background-color: rgb(192, 161, 84); ">mangala sing </span></div>bhadashttp://www.blogger.com/profile/04468274969114380699noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-8142579002227853792011-12-23T06:36:00.000-08:002011-12-23T06:45:51.907-08:00सूचना अधिकार - नौकरशाह के मकडजाल में दम तोड़ रही है<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhT_xwQiQwaLTWDoX_8U23t8Z5ayFtQmaTNEtK0k2xzs6LKtYIKY2iABPeSRtIsEoZIyOo_KSkmvbtAq47I87k9y5QPELRIypps-925i5c3w1rSy_KiT_AO8fLgUTqy5WBC8HTzFKx4Eow/s1600/scan0002.tif"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 102px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhT_xwQiQwaLTWDoX_8U23t8Z5ayFtQmaTNEtK0k2xzs6LKtYIKY2iABPeSRtIsEoZIyOo_KSkmvbtAq47I87k9y5QPELRIypps-925i5c3w1rSy_KiT_AO8fLgUTqy5WBC8HTzFKx4Eow/s320/scan0002.tif" border="0" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5689334902359628642" /></a><br />आज अखबार में प्रकाशित लेखbhadashttp://www.blogger.com/profile/04468274969114380699noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-37721560095537648222011-10-18T03:00:00.000-07:002011-10-18T03:00:44.067-07:00गिद्ध मानसिकता<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><span class="Apple-style-span" style="background-color: white; font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px;"></span><br />
<div><b>गिद्ध मानसिकता </b></div><div> एल.आर.गाँधी </div><div>हिमाचल में श्वेत्पोश गिद्धों की एक प्रजाति की संख्या पिछले छह साल में बढ़ कर ५० से १९० हो गई है. एक संतोष जनक समाचार है ... गिद्ध एक ऐसा जीव है जो वातावरण की शुद्धिकरण का महती कार्य करता है. मृत लावारिस पशु-पक्षियों को खा कर प्राकृतिक सफाई सेवक का काम करता है. मगर पशुओं को दिए जाने वाले डिकलोफिनाक इंजेक्शन के दुष्प्रभाव से गिद्ध मारे जाते हैं. अब इस इंजेक्शन पर रोक लगाने से गिद्धों की संख्या बढ़ने लगी है. </div><div>समाजिक मान्यताओं में गिद्ध को अशुभ्यंकर माना जाता है.क्योंकि यह अपने खाने के लिए जीवो की मृत्यु की कामना करता है. अपने लालच की पूर्ती के लिए दूसरों के अहित की आकांक्षा करने वाले लालची व्यक्ति को भी इसी लिए 'गिद्ध ' उपनाम से बुलाते हैं. भारत में भले ही इन श्वेत्पोश गिद्धों का अस्तित्व खतरे में है मगर गिद्ध मानसिकता से ओत प्रोत </div><div>श्वेत्पोश राजनेताओं और अफसरशाही खूब फलफूल रही है. बेचारा गिद्ध भरपेट खाने के लालच में डिक्लोफिनाक युक्त मांस खा कर मारा जाता है...मगर ये एक प्रतिशत गिद्ध- मानस ४५% जनता का आहार हड़प कर भी डकार तक नहीं मारता... गिद्ध अपने पेटू पण के लिए यूं ही बदनाम है .. एक वक्त में ,अपने वज़न का, १०% के करीब खता है ... संचय बिलकुल नहीं करता. गिद्ध- मानव खाता तो दिखावे को भी नहीं , मगर संचय ...घर की तिज़ोरिओं में ज़गह नहीं तो ' स्विस 'की तिज़ोरिया सही.</div><div>एक पुराना शेयर है ... हर शाख पे उल्लू बैठा है ...अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा.... मगर अब तो हर तरफ 'गिद्धों' का निजाम है. गिद्धों की प्रिय स्थली हिमाचल ने ही देश को दूर-संचार क्रांति के जनक दिए ...इस महान 'क्रन्तिकारी' ने दूर संचार विभाग को इस कदर चूना लगाया कि शर्म के मारे हिमाचल के सारे के सारे गिद्ध या मर गए या फिर भाग खड़े हुए...घर घर तक दूर संचार की 'सुख' सुविधा पहुँचाने के नाम पर करोड़ों रूपए की टेलीफोन तारें अन्डर ग्राऊंड कर दी. आज सरकार का टेलीफोन बिना घंटी के बज रहा है और सुनने वाला कोई नहीं... बेतार मोबाईल का राज जो आ गया .. बस राजा साहेब ने दूर संचार की २- जी ऐसी बेतार छेड़ी कि पिछले सभी रिकार्ड पीछे छूट गए ... आप तो गए 'तिहाड़' में 'औरों ' की भी तैयारी है. चलो इसी बहाने खेलो में न सही दूर संचार में लूट -समाचार का नया कीर्तिमान तो बना . </div><div>खेल खेल में हमारे कलमाड़ी जी ने ऐसी उड़ान भरी कि गिद्धों' का सम्राट भी शर्म के मारे 'चोरों के सरदार' की छत पर आ गिरा और हमारी शीला जी को पूरी दिल्ली में मुंह छुपाने को कोई 'बुरका' नहीं मिला. </div><div>अरे गिद्ध मंडली में गिद्धों के सरदार , किरीकिट के जानकार, किसानों के जानहार, अनाज के कीड़े, चीनी माफिया के पालनहार ,पी. डी. एस के डिपो होल्डर , महंगाई के चमत्कार और जिस चीज़ का नाम लें ..बस गायब ... ढूँढते रह जाओगे ... का जिक्र करना तो भूल ही गए .... न मालुम अपने इतने निकटवर्ती होने के बावजूद.. अन्ना भी इनका ज़िक्र करने से चूक गए ... काश ... अन्ना ही अपने जन लोकपाल चूर्ण में डिक्लोफिनाक मिला दें और सब कुछ खाने के आदि ये गिद्ध- मानुस 'खा' तो लेंगे ही... सभी भूखे -नंगे भारतीय टेढ़ी तिरछी टोपी लिए मैं भी अन्ना तूं भी अन्ना की धुन पर झूम उठेंगे. <br />
<div><br />
</div></div></div>L.R.Gandhihttp://www.blogger.com/profile/00227090318128258228noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-25517325611869481812011-09-07T07:20:00.001-07:002011-09-07T07:20:53.186-07:00Dil ko har waqut tasalli ka guma hota hai<span class="Apple-style-span" style="font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px; background-color: rgb(255, 255, 255); ">Mitron,<br />"Dil ko har waqut tasalli ka guma hota hai<br />Dard hota hai par jane kahan hota hai<br />Aap kyon poochhate ho dard ki halat mujhse<br />Ek jagah ho to bata doon ki kahan hota hai"<br /><br />"Ye na poochho ki kis kis ne dhokhe diye<br />Varna apno ke chehre utar jayenge"<br /><br />Kya hum visangatiyon me apni javabdehi sweekar karte hain? Yadi Haan<br />to saajhi takat banakar badlao me apni javabdehi sunischit ki<br />jaye.Yehi rasta ho sakta hai anyatha sach yehi hai ki yeh blgger aur<br />net ki duniya shoshit janon ki bahusankhya logon ki pahuch se koson<br />door hai.<br />Prayas ki sarahna karta hoon par aur koshishon ke liye rastey hum<br />banayen iski jaroorat hai.<br />VKRAI<br /><br />--<br />V.K. RAI<br />Centre For Environment And Rural Technology (CERT)<br />MIG-2/51, BIDA Colony, Jamunipur,<br />Bhadohi, Sant Ravidas Nagar, (U.P.)<br />Mobile- 09415360040</span>sanjayhttp://www.blogger.com/profile/08520761498192985388noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-32163121313107867822011-09-04T22:42:00.001-07:002011-09-04T22:50:18.933-07:00ऑफिसर सुर्वे के काम देनेके लिए पैसे मंगाते है-<span class="Apple-style-span" style="font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px; background-color: rgb(255, 255, 255); ">प्रियजनों,<div>मै बिमा SURVEYOR का काम करता हु. लेकिन भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है</div><div>के इन्सुरेंस के ऑफिसर सर्वे के काम देनेके लिए पैसे मंगाते है लेकिन मै</div><div>पारदर्शक और स्वच्छ काम करता हु इसलिए मै पैसे किसीसे लेता भी नहीं</div><div>और किसीको पैसे देता भी नहीं. इसलिए ये लोग मुझे काम नहीं देते. मैंने IRDA</div><div>फिनांस मिनिस्ट्री तक COMPLAINT की लेकिन कोई भी जबाब १५-२० REMINDERS
<br /><div>के बाद भी नहीं मिला. अब दोस्तों मुझे ये बताओ क्या करना चाहिए.</div><div>
<br /></div><div>अविनाश चान्द्सरकर ,</div><div>बिमा सर्वेक्षक ,धुले -महाराष्ट्र.</div><div>मो.नो.०९४२३९७९३४०</div></div><div>
<br /></div></span>sanjayhttp://www.blogger.com/profile/08520761498192985388noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-63264556556327359092011-09-03T09:20:00.000-07:002011-09-03T09:22:16.839-07:00नवजात मृत्यु दर - कोई चिंता नहीं.<span class="Apple-style-span" style="font-family: arial, sans-serif; background-color: rgb(255, 255, 255); font-size: medium; "><div class="gE iv gt" style="font-size: 13px; padding-left: 4px; padding-bottom: 3px; cursor: auto; padding-right: 0px; "><table cellpadding="0" class="cf gJ" style="border-collapse: collapse; margin-top: 0px; width: auto; "><tbody><tr><td class="gF gK" style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; font-family: arial, sans-serif; text-align: left; white-space: nowrap; padding-right: 8px; vertical-align: top; width: 657px; padding-top: 0px; "><table cellpadding="0" class="cf ix" style="border-collapse: collapse; table-layout: fixed; width: 657px; "><tbody><tr><td style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; font-family: arial, sans-serif; "><div class="iw" style="overflow-x: hidden; overflow-y: hidden; white-space: nowrap; "><span email="gandhilr1948@gmail.com" class="gD" style="font-size: 13px; font-weight: bold; white-space: nowrap; display: inline; vertical-align: top; color: rgb(0, 104, 28); ">L.R Gandhi</span> </div></td></tr></tbody></table></td></tr></tbody></table></div></span><span class="Apple-style-span" style="color: rgb(85, 85, 85); font-family: arial, sans-serif; white-space: nowrap; background-color: rgb(255, 255, 255); font-size: medium; ">gandhilr1948@gmail.com</span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial, sans-serif; background-color: rgb(255, 255, 255); font-size: medium; "><div class="gE iv gt" style="font-size: 13px; padding-left: 4px; padding-bottom: 3px; cursor: auto; padding-right: 0px; "><table cellpadding="0" class="cf gJ" style="border-collapse: collapse; margin-top: 0px; width: auto; "><tbody><tr><td class="gF gK" style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; font-family: arial, sans-serif; text-align: left; white-space: nowrap; padding-right: 8px; vertical-align: top; width: 657px; padding-top: 0px; "><table cellpadding="0" class="cf ix" style="border-collapse: collapse; table-layout: fixed; width: 657px; "><tbody><tr><td style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; font-family: arial, sans-serif; "><div class="iw" style="overflow-x: hidden; overflow-y: hidden; white-space: nowrap; "> <span class="hb" style="vertical-align: top; ">to <span email="prawakta@gmail.com" class="g2" style="vertical-align: top; ">prawakta</span>, <span email="janokti@gmail.com" class="g2" style="vertical-align: top; ">janokti</span>, <span email="kranti4people@gmail.com" class="g2" style="vertical-align: top; ">kranti4people</span>, <span email="bhadas4corruption@gmail.com" class="g2" style="vertical-align: top; ">me</span></span></div></td></tr></tbody></table></td><td class="gH" style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; font-family: arial, sans-serif; text-align: right; white-space: nowrap; vertical-align: top; "><div class="gK" style="padding-top: 0px; padding-right: 4px; "><span class="iD" idlink="" style="color: rgb(132, 170, 255); text-decoration: underline; cursor: pointer; vertical-align: top; ">show details</span> <span id=":e9" class="g3" title="Fri, Sep 2, 2011 at 10:08 PM" alt="Fri, Sep 2, 2011 at 10:08 PM" style="vertical-align: top; margin-right: 3px; ">10:08 PM (23 hours ago)</span><span></span></div></td><td class="gH" style="margin-top: 0px; margin-right: 0px; margin-bottom: 0px; margin-left: 0px; font-family: arial, sans-serif; text-align: right; white-space: nowrap; vertical-align: top; "></td></tr></tbody></table></div><div class="iF" style="height: 0px; overflow-x: hidden; overflow-y: hidden; clear: both; "></div><div class="utdU2e"></div><div class="QqXVeb"></div><div id=":f3" class="ii gt" style="font-size: 13px; margin-top: 5px; margin-right: 15px; margin-bottom: 5px; margin-left: 15px; padding-bottom: 20px; position: relative; z-index: 2; "><div id=":fp"><div>
<br /></div><div> एल. आर. गाँधी </div><div>
<br /></div>आंध्र प्रदेश के कुर्नूर के हस्पताल में बदइन्तजामी के चलते पिछले ४८ घंटे में ११ नवजात मौत के आगोश में समा गए. मुख्यमंत्री ने जांच बिठा दी तो हस्पताल अधिकारिओं ने इस बात से इनकार किया कि बचों की मौत का कारन वेंटीलेटर में आक्सीज़न का न होना था. देश की सेहत के ठेकेदार केन्द्रीय सेहत मंत्री ने फरमा दिया की चिंता की कोई बात नहीं. अब नबी के गुलाम जी आज़ाद फरमा रहे हैं कि चिंता की कोई बात नहीं... तो मानना ही पड़ेगा भई !<div>नवजात शिशु मृत्यु दर में हम विश्व में नंबर वन हैं और हर साल ९ लाख बच्चे पैदा होते ही मृत्यु की गोद में समा जाते हैं .....सचमुच चिंता की कोई बात नहीं.. चलो इसी बहाने किसी क्षेत्र में तो हम नंबर वन हैं. !!! फिर भी हम संतोष कर सकते हैं कि पिछले दो दशक में यह मृत्यु दर ३३% कम हुई है. विश्व में हर साल ३.३. मिलियन नवजात शिशु अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं और इन में से आधे - भारत, नाईजेरिया ,पाकिस्तान ,चीन और कांगो के हैं. पछले दो दशक में मृत्यु दर में २८% की कमी आई है. और यह ४.६ मिलियन से घट कर ३.३. मिलियन रह गई है. नवजात शिशु मृत्यु दर उक्त पांच देशों में सर्वाधिक होने का मुख्य कारन अधिक जनसँख्या तो है ही वहीँ भारत जैसे देश में इन मौतों का मुख्य कारन बिमारियों से बचाव की मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव साथ साथ देश की बहुत बढ़ी आबादी तक स्वच्छ पेय जल पहुँचाने में हमारी सरकार की नाकामी भी है. चीन ने तो फिर भी अपनी जनसँख्या पर प्रभावशाली ढंग से अंकुश लगा लिया है. मगर हमारे सेकुलर शैतान वोट बैंक की चिंता के चलते ... बढती आबादी से बिलकुल भी चिंतित नहीं हैं. फिर नवजात शिशु अपने प्रथम चार सप्ताह पूरे होते होते परलोक सिधार जाए तो आजाद साहेब के लिए चिंता की बात हो भी कैसे सकती है .. क्योंकि यह भी तो परिवार नियोजन की एक परोक्ष योजना ही हुई न ? </div></div></div></span>sanjayhttp://www.blogger.com/profile/08520761498192985388noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-88861425654860838632011-09-02T02:06:00.000-07:002011-09-03T07:47:03.084-07:00घोटालो का सिलसिला कब रुकेगा<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhC9T1MIlxGgCdc9nxORvtoqkjTIaKSbnKN4uloHqAq8v6c0illj8rBEHzXYnSLJFK7LYtiIi638lWN7GNwgHwwWafLJowrMBjV7_AA6y-oJRPrvO5YjY0NkK4IKDSYj7a9VRm1A6OVg5o/s1600/Manrega+Ghotala_01.wmv_000000760.jpg" onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}"><img style="float: left; margin: 0pt 10px 10px 0pt; cursor: pointer; width: 320px; height: 222px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhC9T1MIlxGgCdc9nxORvtoqkjTIaKSbnKN4uloHqAq8v6c0illj8rBEHzXYnSLJFK7LYtiIi638lWN7GNwgHwwWafLJowrMBjV7_AA6y-oJRPrvO5YjY0NkK4IKDSYj7a9VRm1A6OVg5o/s320/Manrega+Ghotala_01.wmv_000000760.jpg" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5647687497935835330" border="0" /></a>
<br /><b><span style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;"><span style="border-collapse: collapse;font-family:arial,sans-serif;font-size:13px;"><span></span> भदोही _मनरेगा में घोटालो का सिलसिला रुकने का नाम ही ले रहा है ! सोनभद्र के बाद अब भदोही में भी लाखो का घोटाला सामने आया है ! यहाँ के पुरेगुलाब गाँव में बिना कार्य कराये ही कई लाख रूपये अवमुक्त कर दिए गए ! जब जिले के अधिकारियो ने निरक्षण किया तो जो कार्य कागजो दिखाए गए वह जमीनी पर नही दिखे ! मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन जाँच में जुट गया है !
<br />भदोही जिले के ज्ञानपुर ब्लाक का पुरेगुलाब गाँव जहाँ मनरेगा के तहत लाखो का काम सिर्फ कागजो पर ही कर दिया गया लेकिन जब अधिकारियो ने मौके का निरीक्षण किया तो जमीनी हकीगत कुछ और दिखी ! यहाँ नाली ,पौध रोपण ,कच्चा रोड का काम सिर्फ कागजो पर दिखा ! एक शिकायत के बाद जिला परियोजना अधिकारी ने गाँव का निरीक्षण किया ! यहाँ तीन लाख पच्चास हजार रुपयों का हेर फेर किया गया ! लेकिन जब ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी को मौके पर बुलाया गया तो वह नही आये मामले की गंभीरता को देखते दोनों के खिलाफ नोटिस जारी कर दिया गया है ! वही अधिकारियो का कहना है की जो भी दोषी है उसके खिलाफ सक्त से सक्त कार्यवाही की जाएगी ! इस तरह के घोटलो से यह तो साफ़ है की लगभग सभी क्षेत्रो में भ्रष्ट्राचार अपनी जड़े जमा चुका है ! और विकास कार्य भी इससे अछूते नही है !
<br />दिनेश पटेल </span></span></b> Unknownnoreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-29874800071957475422011-08-28T10:17:00.000-07:002011-08-28T10:18:18.773-07:00पुलिस वाला मोटर सायकिल वाले से १०० रुपये ले रहा है क़ी उसने हेमंत नहीं<span class="Apple-style-span" style="font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px; background-color: rgb(255, 255, 255); ">ये ब्लाग बना कर आपने अच्छा काम किया.. मैंने २२ साल पहले काम करना बंद कर दिया और अभी तक मेरे बच्चे मुझे आराम से पाल रहे हैं. उनकी शिक्षा अच्छी हुई और ईमानदारी से का, किया, इस कारन अभी मुझे कोई खास तकलीफ नहीं है. परन्तु सामने देख टा हूँ क़ी पुलिस वाला मोटर सायकिल वाले से १०० रुपये ले रहा है क़ी उसने हेमंत नहीं लगा रखा है. हेलमेट बनाने वाली कम्पनी के पास पैसा है और सरकार का पेट भर सकती है. उसके बाद वह उच्चतम न्यायलय जा कर ,बड़े कीमती वकीलों के जरिये कहती है क़ी मोटर सायकिल चलने वाले के सर क़ी बड़ी कीमत है. सर के फ्य्टने से ही मौत होती है तो मणि बात है क़ी न्यायालय इसको कैसे ख़ारिज करेगा. नयायालय के सामने कोई दूसरा पक्ष है ही नहीं, और खड़ा भी है तो वह उस का ही ख़रीदा आदमी या वकील है.. मुझे ये तकलीफ है क़ी पैसे वाले न तो मोटर सायकिल स्कूटर पर चलते हैं, न आता पिसने जाते है, न स्च्कुल कलेग जाते हैं. न बिज्लिपनी का बिल जमा करने जाते हैं, न पोस्ट ऑफिस जाते है.तात्पर्य यह है क़ी गावं का किसान मोटर सायकिल पर पिचर भारी सब्जी का बोझा खेत से ला रहा है , पानी बरस रहा है, या नहीं बरस रहा है कण बंद है, मोटे स्किल क़ी फट फट क़ी आवाज मै सुने नहीं पड़ता, और वह घूमता है और किसी से टक्कर कहता है. मरता तो नहीं पर हाथ पैर टूट जाते हैं .स्कुल, कालेज, नेंक, लाइब्रेरी , फल वाला, सब जगह टॉप ही टॉप रखे होंगे तो काम कैसे होगा, या फिर उसे मोटर स्किल पर ही छोड़ दिया तो फिर जैसे रेल मै टला चेन बंधते हैं उसे बंद करे और खोले येही काम कर्ता रहे/ न्याय ले के जज साहिब, या पर्लिअमेंट के सांसद जो आजकल साहब कहलाते हैं, जिन्हें मुफ्त क़ी कर और सब समंमिलता है, कभी सोचये है क़ी जनता को क्या परेशी होती है. उनके पास तो ५ १० नौजर हैं, आज जब से ये सबसे गन्दा काम जिसे नरेगा कहते हैं, काम करने वाले नहीं मिल रहे, और मिलते हैं तो २०० से ३०० रुपये रोक, उस पर भी काम नहीं करते . नरेगा क़ी वजह से आज पांच सर पांच बोलेरो गाड़ी मै घूमता है और मै ८० रुपये लीटर मै सब्जी लेने नहीं जा सकता.कहाँ से ईमानदारी आयेगी , सब तरफ चोर ही चोरी है, पेट्रोल भरने के लिए छेने खिची जा रही है,पेट्रोल पम्प लूटे जा रहे हैं आदि अदू/<div>
<br /></div><div>दूसरा जनता से जुदा मसला है क़ी बीच शहर मै कर मै सीट बेल्ट बंधो नहीं तो ५०० रुपये जुरमाना दो. क्यों, आप क़ी कर जब टकराएगी तो आप स्टेरिंग से उलझ जायेंगे, अधिक रफ़्तार होगी तो आगे का शीशा तोड़ कर बाहर निकल जायेंगे और मर जायेंगे. ठीक हैसरकार को या जज साहब चाहते है हम किसू दुर्घटना के शिकार हो तो का, से का, शारीरिक नुकसान हो. कुआँ आदमी अपनी गाड़ी को जान बुझ कर टक्कर मरेगा और हेज पैर या वहती तुद्द्वायेगा.. सरकार या जज साहब को चाहिए बे इसी शिक्षा का प्रबंध करे क़ी चालक आपने लाभ नुकसान को समझे, ये ५०० और फिर पुलिस वाला या यातायात वाले को १०० रुपये दे कर क्या खूब काम हो रहा है. </div><div>लोक सभा और राज्य सभा मै बैठे सांसद मात्र व्हिल्लाने और तोड़ फोड़ करने मै ही लगे हैं. पर्तिदिन उनके घर एक ट्रक आता है सरकारी प्रेस से जिसमे होते हैं भारी भारी पोथे . अरबों रुपियों का कागज और श्याही लगती है परन्तु मैंने एक भी सांसद या विधायक को एक पन्ना भी पढ़ते नहीं देखा.</div><div>
<br /></div><div>संसद या विधान सभा मै बिल पर बिल आते हैं एक दिन मै १५ पास भी हो जाते हैं और पता ही नहीं क्या पास हुआ म बस थोप दिया जनता पर . अतः ये सारे कानून इतने चिढाने वाले हैं क़ी अब जनता ट्रस्ट हो गई है. स्तिथि ये है क़ी जमता क़ी रु लिए बगैर कानून बनते रहे तो कानून बनाने वालों क़ी पिटाई शुरू होगी
<br /></div></span><span class="Apple-style-span" style="font-family: arial, sans-serif; font-size: 13px; background-color: rgb(255, 255, 255); "><span email="tiwari.ashutosh2@gmail.com" class="gD" style="font-size: 13px; font-weight: bold; white-space: normal; display: inline; vertical-align: top; color: rgb(204, 0, 96); ">ashutosh tiwari</span> <span class="go" style="vertical-align: top; color: rgb(85, 85, 85); ">tiwari.ashutosh2@gmail.com</span></span>sanjayhttp://www.blogger.com/profile/08520761498192985388noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-31973870847397295412011-08-27T00:23:00.000-07:002011-09-08T03:11:44.496-07:00ये देश कि आवाज है राहुल जी<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://t2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTP9Pn-t2Vyva4zBXlF-GbsvC2BPv_5PBbE5boKtfyJNfbk7sRVQg"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 281px; FLOAT: left; HEIGHT: 179px; CURSOR: hand" border="0" alt="" src="http://t2.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTP9Pn-t2Vyva4zBXlF-GbsvC2BPv_5PBbE5boKtfyJNfbk7sRVQg" /></a><br />कल श्री राहुल गाँधी, जिसे कुछ लोगो और मिडिया ने देश का युवराज घोषित कर रखा है , अब लोकतंत्र में युवराज मेरी बौद्दिक क्षमता से परे है ये समझाना कि लोकतंत्र में युवराज , ऐसा तो राजतंत्र में होता था लेकिन लोकतंत्र में .......................................... अब ये छोडते है , और कल जो लोक सभा में राहुल गाँधी जी ने कहा ................. पहले तो राहुल जी को धन्यवाद कि तमाम मुद्दों पर तुरंत बोलने वाले राहुल गाँधी को श्री अन्ना अजारे जी व् देश के करोडो लोग जो भ्रष्टाचार मिटाने के लिए जन लोकपाल के लिए सत्याग्रह कर रही है उसके विषय में बोलने के लिए लोकपाल को चुनाव आयोग जैसा स्वतंत्र संस्था हो ठीक बात है होना भी चाहिए लेकिन ये भी स्पष्ट उसमे क्या प्रधानमंत्री व् न्यायपालिका को जांच करने का अधिकार होगा या नहीं दूसरी बात ये कि किसी के द्वारा कोई कानून बनाने के लिए दबाव बनाना लोकतंत्र के संसदीय व्यवस्था के लिए खतरा होने कि बात , तो पहले ये स्पष्ट होना चाहिए कि ये कानून कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि देश कि करोडो जनता माग रही है और ऐसी नौबत भी तब आई जब आपकी सरकार जो बाते तो करती है भ्रष्टाचार को खत्म करने कि लेकिन करती कुछ नहीं है इसलिय मजबूर होना पढ रहा है इस देश के लोगो को अपना देश बचाने के लिए क्योंकि अकेले कोई राजनितिक पार्टी या सांसद ही इस देश का प्रतिनिधि नहीं है इस देश का प्रत्येक नाग्रि़क इस देश का प्रतिनिधि है जहाँ तक संसदीय व्यवस्था कि बात है तो जिस कानून को बनाने कि बात अन्ना जी के नेतृत्व में इस देश कि करोडो जनता कर रही है वो कोई व्यक्तिगत या किसी एक समूह के लाभ के लिए नहीं है बल्कि पुरे देश के लोगो के साथ इस लोकतान्त्रिक व्यवस्था के लिए अच्छी बात होगी और एक स्वस्थ लोकतंत्र स्थापित होगा वैसे भी राहुल जी कानून संसद ही बनाएगी ये शक्ति उसी को है हा जनता को अपना प्रतिनिधि चुनने कि स्वतंत्रता व् शक्ति दोनों है और उसका भी समय आएगा जब आपके सारे तर्क का कोई मतलब नहीं होगा `<br />santosh<br /><a href="mailto:svkumarsan@gmail.com">svkumarsan@gmail.com</a>kuchhh to bolohttp://www.blogger.com/profile/16872171787905793182noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-75912572803604970852011-08-25T03:38:00.000-07:002011-08-25T03:38:29.620-07:00व्यवस्था परिवर्तन कि आवश्यकता<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><br />
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvj2l7l82BMJRpZACwzEtjr_IIbFLy0b_zY2CknOdySjEV3RyEzklI4ZImcvYzXCCQqp7qqtRlHM5HW7kWJ2Hn7GdrR7ev38wzEvBMbFqBe2phDWZzsFMcRyB_eAbbgBBX-rK2L0Gozjc/s1600/drought_girl.jpg" style="clear: left; display: inline !important; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="182" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhvj2l7l82BMJRpZACwzEtjr_IIbFLy0b_zY2CknOdySjEV3RyEzklI4ZImcvYzXCCQqp7qqtRlHM5HW7kWJ2Hn7GdrR7ev38wzEvBMbFqBe2phDWZzsFMcRyB_eAbbgBBX-rK2L0Gozjc/s200/drought_girl.jpg" width="200" /></a><br />
पन्द्रह अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजो के शासन से मुक्ति से तो मिल गई लेकिन क्या सही मायने में हमारी व्यवस्था बदली ?क्या देश का आम नागरिक गुलामी कि बेड़ियों से निकल पाया ? अगर नहीं तो आज फिर व्यवस्था परिवर्तन कि आवश्यकता क्यों महसूस हुई ?इसी पर बात करता हूँ | कि आजादी के इन 64 वर्षों के बाद भी देश में जो समस्याएं , चुनोतियाँ व् भयावह दर्दनाक परिस्थियां राष्ट्र में पैदा हुई हैं , वे इस बात का प्रमाण हैं कि हमारी नीतियां व् व्यवस्थाएं देश वासियों को न्याय नहीं दें पा रही हैं | अत: हमारे देश कि नीतियों व् पूरी व्यवस्था कि नए सिरे से पुन: संरचना कि नितांत आवश्यकता है |<br />
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1. आजादी के 64 वर्ष बाद भी यदि भारत के 50% से ज्यादा लोग अनपढ़ हैं, हमें अपने देश कि भाषाओँ में उच्च तकनिकी कि शिक्षा पाने का अधिकार नहीं है , गरीब व अमीर के लिय एक जैसी शिक्षा व्यवस्था नहीं है ,हमारे पूर्वजो के ज्ञान ,जीवन व चरित्र के बारे में अपमान जनक बातें बताई जाती हैं - तो क्या ये हमारी शिक्षा व्यवस्था कि असफलता नहीं है ?<br />
<a href="" name="more"></a><br />
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2. 64% देश के लोग बीमार होने के बाद उपचार नहीं करा सकते |उन बीमारों को हम तड़पते मरने के लिय छोड़ देते हैं और जो 35% लोग जो इलाज करवा पाते हैं उसमे सात लाख करोड रूपये से ज्यादा देश के लोगो के धन का दोहन मात्र रोगों को नियंत्रित करने में होता है, क्योंकि उनको पूर्ण आरोग्य नहीं मिल पाता है, और इनमे से भी पचास प्रतिशत लोग अपने घर व् जमीन बेचने पर मजबूर हो जाते हैं,क्योंकि इलाज कि खातिर चिकत्सा व्यवस्था मंहगी है | यह हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था कि नाकामी नहीं है तो क्या है ?<br />
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3. गुलामी के समय अंग्रेजो ने जो 34735 कानून हमें लूटने , शोषण करने व् सदियों तक हमको गुलाम बनाने के लिय बनाये थे , उन कानूनों को हमने आजाद भारत में क्यों कर रखा है ? जिसका परिणाम यह है कि १०० अपराधियों में से मात्र पांच अपराधियों को हमारी न्याय व्यवस्था दण्ड डे पाती है | 100 में से ३० बहन बेटियों कि इज्जत को जिंदगी में कभी न कभी तार तार करने कि कोशिश कि जाती हैं | देश में कभी भी आंतकवादी घटना हो सकती है देश पूरी तरह सुरक्षित नहीं है |<br />
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अगर हमारी देश कि न्यायपालिका देश वासियों को न्याय नहीं दे पा रही है तो इसका साफ व् सीधा सा अर्थ है कि इसको बदलने कि आवश्यकता है |<br />
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4. एक तरफ देश का सकल घरेलू उत्पाद G.D.P. लगभग पचास लाख करोड रूपए इतनी अकूत धन दौलत होने के बावजूद क्यों हमारे देश के लगभग 84 करोड लोग मात्र 20 -21 रूपए प्रतिदिन में बेबसी ,गरीबी ,लाचारी ,भूख व् आभाव कि जिंदगी जिनी पड़ती है |यह हमारे देश कि गलत आर्थिक निति नहीं है तो और क्या है ?<br />
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और भी बहुत विस्तार से जान जाए तो बहुत सारी भ्रष्ट व् गलत वाही नीतियां आज हमारे देश कि शासन प्रणाली में हैं जिनसे आज आम आदमी तंग है |और इसका एक ही समाधान है व्यवस्था परिवर्तन |और इसकी शुरुआत के लिय कोई भी व्यक्ति अगर आवाज उठता है और काम शुरू करता है तो क्या हमें उसका साथ नहीं देना चाहिय ?<br />
By: Tarun bhartiy on http://www.adarsh-vyavastha-shodh.com/2011/08/blog-post_12.html#more </div>हरीश सिंहhttp://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2061000290641851643.post-89741242332053690162011-08-25T03:28:00.000-07:002011-09-08T03:12:33.350-07:00भ्रष्टाचार खत्म होगा क्योकि नई पीडी की सोच बदल रही है<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://t1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcScW8CjPUmaelT3IYR6ZH-xmD0P4WYThzrb9C6i9mW1XTGCvjXE4Q"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 274px; FLOAT: left; HEIGHT: 184px; CURSOR: hand" border="0" alt="" src="http://t1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcScW8CjPUmaelT3IYR6ZH-xmD0P4WYThzrb9C6i9mW1XTGCvjXE4Q" /></a><br /><a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="http://t3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTget-L-5ZOCK3GR8aKyvcdjjeVEVIK4mJXShjMdOWjSnZ8AqwO"><img style="MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 259px; FLOAT: left; HEIGHT: 194px; CURSOR: hand" border="0" alt="" src="http://t3.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTget-L-5ZOCK3GR8aKyvcdjjeVEVIK4mJXShjMdOWjSnZ8AqwO" /></a><br />पिचले कुछ दिनों से मुझे या मेरे जैसे सोचने वालो को बहुत खुसी हो रही है कि लोगो कि भ्रष्टाचार के विषय पर सोच बदल रही है जहाँ आज के पहले लगभग सभी लोग कुछ लोगो को छोड़ कर मै खुद भी उन्ही लगभग लोगो में था जो य सोचते थे कि कुछ भी सुधार कि बाते विशेषकर भ्रष्टाचार को लेकर हमारे देश में हो ही नहीं सकती क्योंकि इस देश के लगभग लोग वही कुछ को छोड़ कर बस मौका मिलने कि देरी है भ्रष्ट है या कहे कि बिना मौका मिले भी जिस जगह है जिस स्तर पर है जितना कर सकने कि क्षमता है भ्रष्टाचार में लिप्त है अब वो चाहे चोरी से बिजली जलाने कि बात हो या फिर ट्रेन में बिना टिकट यात्रा करना हो आदि ऐसी ही कुछ हमारी हरकते जिसे हम भ्रष्टाचार नहीं मानते आसानी से और बड़े ही दिल खोलकर कर रहे है , भ्रष्टाचार ही तो है अब एक बात और भी सोचने वाली है हम तो भ्रष्ट थे ही या हमारी वो पीडी जो ५० वर्ष के ऊपर कि है वो स्वयं तो इस नकारात्मक सोच वाली थी कि कुछ भी नहीं हो सकता भ्रष्टाचार को लेकर और अपनी युवा पीढ़ी को भी यही पाठ पड़ा दिया कि कुछ भी नहीं हो सकता है लेकिन भला हो बहुत से युवाऔ का जो पाठ पढ़े तो सही पर उसको आत्मसात नहीं किया जिसका एक बहुत ही अच्छा परिणाम है कि वाही आज आन्ना हजारे जी के साथ रामलीला मैदान में दिख रही है , यही वो भी सकारात्मक सोच वाले वुवाओ का जनसैलाब था जब अन्ना जी जेल में थे , यही वो गलत पाठ पढ कर न सीखने वाले देश के भविष्य है जो आज देश के हर शहरों ,गांव ,सड़क मुहल्लो में भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़ा हुआ है इस सोच के साथ कि तश्वीर बदलेगी , भ्रष्टाचार खत्म होगा ........................................................ <br /><div></div><br /><div></div><br /><div>santosh</div><br /><div><a href="mailto:svkumarsan@gmail.com">svkumarsan@gmail.com</a><br /></div><br /><div></div>kuchhh to bolohttp://www.blogger.com/profile/16872171787905793182noreply@blogger.com0