भारत का भविष्य या भविष्य का भारत
एल आर गाँधी
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ,
मदरसे पे छत नहीं है ,रौशन है कल हमारा ...
ज़ाहिर है यह एक सरकारी नर्सरी स्कूल है जहाँ भविष्य का भारत तालीम हासिल कर रहा है ...नौनिहाल बाकायदा ड्रेस में हाज़िर हैं और मिस पूरी तल्लीनता से जमींदोज़ दीवार पर टिके खस्ताहाल ब्लैकबोर्ड पर सफेद चाक से बच्चों को उज्जवल भविष्य से रूबरू करवा रहीं हैं ....बच्चो की मासूमियत और मिस के ज़ज्बे को सलाम .
३ ५ लाख के शौचालय में बैठ कर केंद्र के मौन्टेक सिंह जी ने १२ वीं पंच वर्षीय योजना में , देश के हर एक स्कूल को एक-एक जनाना -मरदाना देने का पूरा -पूरा इंतज़ाम किया है . अब केंद्र का बज़ट राज्य सरकार खुर्द बुर्द कर दे तो इसमें बेचारे मन- मौन सिंह या फिर राजमाता का क्या कसूर है .
हमारे संस्कारों व् संस्कृति में तालीम के इन इदारों को किसी मंदिर ,मस्जिद गुरद्वारे या चर्च से कम नहीं आँका जाता . एक ओर साईं बाबा को सोने के मुकटो से सजाया संवारा जाता है ..नगर- नगर गाँव गाँव मंदिर -मस्जिदों के मीनार नई नई बुलंदियों को छू रहे हैं और ये भ्रष्ट तंत्र से त्रस्त इदारे धुल धूसरित हुए जा रहे है .
सवा सौ करोड़ के इस देश में २४ लाख मंदिर,मस्जिद गुरद्वारे व् गिरजाघर हैं जहाँ पर हम हिंदुस्तानी अपने ईष्ट से अपने बच्चो के उज्जवल भविष्य की दुआ मांगते हैं ... ६ लाख हस्पताल ,क्लिनिक व् डिस्पेंसरियां हैं जहा बीमार समाज को दरुस्त-तंदरुस्त किया जाता है .. राष्ट्र के भविष्य बच्चो और युवाओं , जो कुल आबादी का एक तिहाई हैं के लिए मात्र १५ लाख स्कूल कालेज हैं और इनमें ऐसे 'सरकारी आदर्श ' स्कूल भी अनगिनत हैं जहाँ नेहरु जी की पंच वर्षीय योजनाओं की सुख सुविधाओं की ब्यार अभी पहुंचनी बाकी है ....फिर भी २१ वी सदी के 'आदर्श स्कूल 'को सलाम !
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